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आत्मनिर्भरता का स्वाद मडुवे की नमकीन में

आत्मनिर्भर बनना कौन नहीं चाहता है हर कोई स्वावलम्बी बनना चाहता है. अपनी जड़ों में रहकर एक सुखी जीवन जीना kaun नहीं चाहता है लेकिन सवाल ये उठता है की ये आत्मनिर्भरता आती कहाँ से है? आज यही सवाल का उत्तर हमारी टीम ने जाना अल्मोड़ा के श्री हरीश भट्ट जी से जो पिछले कई सालों से मडुवे की नमकीन, मठरी और कई अन्य लजीज स्नैक्स बनाकर अल्मोड़ा बाजार में बेच रहे है.


अल्मोड़ा बाजार के रैम्जे स्कूल के गेट के सामने भट्ट जी ने फड़ लगाया है जब कस्टमर कम हुए तो हमने उनसे बातचीत करने की सोची मिलनसार स्वभाव के भट्ट जी ने बताया कि "वो काफी टाइम से मडुवे के बने स्नैक्स मार्केट में बेच रहे है और इन स्नैक्स की डिमांड भी बहुत ज्यादा है जोकि आने वाले टाइम में रोजगार का एक बहुत बढ़िया ज़रीआ बन सकता है" भट्ट जी ने आगे बताया कि " जो भी बेरोजगार इन मडुवे के स्नैक्स बनाने की ट्रेनिंग लेना चाहे वो अल्मोड़ा में स्वागत रेस्टोरेंट की छत पर आके इनसे मिल सकता है और प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन सकता है|

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